Friday, February 18, 2022

खामोश Love | poetry | Love poetry

  



जुदाई की वह रातें और तन्हाई बहुत अक्सर 

सुबह की वह उदासी और फिर शाम वह गमगीं 

मुहब्बत की ना कसमें हैं ना वादे हैं यहां कोई 

यहां तो दिल तड़पता है नज़र मिलती नहीं लेकिन 

मुहब्बत की मगर लपटें दहकती है यहां हरदम 

सितमगर ओ तेरा जाना और फिर तेरे आने तक 

मेरा वह राह तकना और फिर आस तकने तक 

तेरी फोटो कभी देखूं कभी देखूं तेरे फिर ख्वाब

तेरा है नाम लब पर तो ज़ुबां खामोश ओ हमदम

बहुत फिर याद तेरी आये और ना जाये तेरी जब याद

बहुत रोती हूं मैं तन्हा तुम्हें फिर याद कर-कर के 

आ जाओ ओ परदेसी मेरा अब जी नहीं लगता 

हैं लम्हें तो बहुत खाली सुकून मिलता नहीं फिर भी  

हां यह सच है बहुत परियां तुम्हारे गिर्द मंडराएं 

सभी चाहें तुम्हें पाना मगर तुम याद रखना यह

फलक का एक सितारा भी ज़मीं पर है तेरी खातिर 


-Little_Star




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