Thursday, November 28, 2024

हया

वह जो घूंघट में सदा, खामोश थी बिल्कुल हया

उठ गया घूंघट जो अब, बेहया मशहूर वह....



हया.....

हया जो झलके सदा ही तुझ में 

खामोश हो लब और नज़र हो नीची

ढंका हो सिर और अदब हो जिसमें

ना आवाज़ ऊंची ना हो लब कुशां ही

सवाल हो ना वहां पे कोई 

जवाब देने की क्या बात फिर हो 

करे वह सब काम कुछ ऐसे जैसे

कोई मशीन हो या हो वह रोबोट

ना दर्द हो उसको थके कभी ना

वह बाते सबकी सुने है हरदम 

सुनाये अपने कभी ना वह जो 

क्या सुबह हो और होती क्या रात 

मुहब्बतों को कहां वह पाती 

जिस्म को अपने कहां बचाती

जो रूह से मिलती कभी तो रूह भी 

ख्वाब अकसर यही वह बुनती

सबक वह जो पढ़ा है उसने

सही है सब कुछ गलत नहीं कुछ 

तो फिर सही वह नहीं गलत वह 

ना कोई सपना ना कोई ख्वाहिश 

यही तो ख्वाहिश करें हैं सब ही

जिये तो लेकिन मगर ना अपनी 

हो जैसे गिरवी कहीं रखी हो 

हां होती ज़िदा मगर कुछ ऐसे 

कोई वह बुत हो चले मगर जो

हज़ार दुख दर्द और ख्वाब लेकर 

यहां जो जी ले वही है अच्छा 

जो ज़िन्दगी को गुज़ारे ऐसे 

खिताब उसको ना कोई मिलता 

मगर जो खोले यहां कोई लब 

जवाब दे दे सवाल कर ले 

करे है जो बात सच और हक की 

कहे है जो ना वही उसकी ना है  

यह सच है हया है और गैरत है उसमें

मगर उसको मिलता खिताब ऐसे-ऐसे 

बड़ी है बेगैरत बड़ी बेहया है 

नहीं शर्म इसमें बड़ी बेशर्म है 

बड़ी है यह दुनिया बड़े हैं यहां लोग 

यह लोगों की दुनिया नहीं कोई इंसां

बने हम भी इंसान यही अब दुआ है

बनें हम ना अच्छे करें सब ही अच्छा 

मगर ना बुरे हों ना कोई बुरा हो 

-Little_Star (Anjum G) 





















Wednesday, November 27, 2024

दहेज नहीं तो शादी नहीं (शुभ लगन) | Social Issues

 


शुभ लगन.....
मुबारक हो तुम को
बेटी हुई है 
आवाज़ यह आई 
कानों में एकदम 
खुश हुआ दिल तो लेकिन 
कुछ अंजाने दुख भी मगर
दिल की खुशियों को ही थामा
अंजाने डर को दूर भगाया
लालन-पालन शुरू हुआ फिर 
आंगन चहका बगिया महकी
बेटी का जीवन हंसता-खेलता 
कोने में खड़ा वह बाप बेचारा
सपनों में बसा रहा सहारा
आंखों में चिंता मन में बोझ
बेटी की खुशियों का था सोच
खुद के अरमानों को बांध दिया 
हर ख्वाहिश को ज़ंजीर डाल दिया 
सिक्को को जोड़ते-जोड़ते सोचा
क्या बेटी का सपना भी बिका होगा
कुछ पैसों को बचा के रख लूं 
दहेज जो बेटी का बना मैं सकूं 
बेटी होती गई बड़ी और 
दहेज के पैसे भी जुड़ते गये
पढ़-लिख बेटी जवान हुई 
बेटी की शादी की बात चली 
दहेज तो सारा बन ही चुका था 
रिश्ता अब सिर्फ करना बचा था
लड़के आये कई बार मगर
बात मगर ना बन पाई 
रस्मों रिवाजों की बात चले जब
दान दहेज की मांग उठी जब 
संस्कारों से तकरार हुई तब
मेरी शिक्षा मेरे संस्कार 
यही दहेज है साथ मेरे
बोलो अगर मंज़ूर तो यह
रिश्ता पक्का कर लें हम
लड़की बोली मगर खामोशी 
बाप डर कर देख रहा था
चेहरा हर वह भांप रहा था 
लड़का बोला तैयारी करो फिर 
शुभ लगन की बेला फिर तो
चमके फिर तो चेहरे सब
दहेज अगर ना हो बगिया महके
हर आंगन में बेटी चहके
हर लगन फिर शुभ लगन हो
दहेज नहीं तो शादी तब हो....TheEnd
  
🖋️
आनलाइन मैग्ज़ीन के लिए लिखी गई यह कविता.... जहां पर टाइटल था "दहेज नहीं तो शादी नहीं" उसी टाइटल के आधार पर हमने यह कविता "शुभ लगन" लिखने की कोशिश की है।
दहेज जैसी प्रथा को हटाने के लिए एक सार्थक कदम की ज़रूरत है।



हम मिडिल क्लास वाले | Life of a Middle-Class Family | Middle-Class Emotions and Reality

 हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं 

दुख की गर्मी सह जाते, सुख की छांव दे जाते हैं हम 




हम मिडिल क्लास वाले.......

हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं 

दुख को छुपा के अपनी खुशियां दिखा जाते हैं हम


जेब खाली रहती है मगर बात लाखों की कर जाते हैं 

ज़मीं पर घर हो ना हो आसमां अपना बना लेते हैं हम


कल होगा आज से बेहतर यह सोच कर सो जाते हैं 

ख्वाहिशें को मार कर उम्मीद को ज़िंदा कर लेते हैं हम 


 कुछ कर अब लेंगे हम जोश कुछ ऐसा भरते हम हैं 

चिरागों का तो पता नहीं सूरज को हैं ललकारते हम


नींद रात भर फिर आती नहीं भूखे पेट सोते नहीं हैं

अच्छी नहीं लगती भिंडी फिर भी भर पेट खा लेते हम


सपने पूरे करने के लिए रात भर फिर सो जाते हम हैं 

दिन को फुर्सत है कहां सब काम ज़रुरी कर लेते हम 


कभी तमन्ना नई साड़ी की आंखो में सजा लेते हैं 

तनख्वाह हाथ आती तो फीस बच्चों की भर देते हम


और फिर अगले महीने कर-कर के सालों बीत जाते हैं 

कहां का शौक अब कुछ है दर्द फिर छिपा जाते हैं हम


नज़र जो पड़ती जूते पर तो खुद पर ही हंस लेते हैं 

किस्मत हंसती हम पर तो हंस लेते किस्मत पर हम


सितारे तोड़ लाने का नहीं कोई वादा करते हम हैं 

जो बीवी रूठ जाये तो मुहब्बत से मना लेते हैं हम 


हम मिडिल क्लास वाले भी बड़े अजीब होते हैं 

ज़िन्दा तो हैं रहते लेकिन अंदर ही अंदर मर जाते हम

-Little_Star