यह वक्त भी क्या वक्त है.......
अदाकार भी हम हैं दर्शक भी हम ही हैं
परेशान भी हम हैं खुश भी तो हम ही हैं
मरीज़ भी हम हैं मसीहा भी हम ही हैं
साहिल भी हम हैं तूफानं भी हम ही हैं
यह वक्त भी क्या वक्त है.........
दोस्त भी हम हैं दुश्मन भी हम ही हैं
मझदार भी हम हैं किनारा भी हम ही हैं
पराए तो पराए हैं पराए भी हम ही हैं
डरते तो हैं लेकिन बेखौफ भी हम ही हैं
यह वक्त भी क्या वक्त है........
मरहम भी हैं लेकिन ज़ख्म भी हम ही हैं
हम साथ भी हैं लेकिन दूर भी हम ही हैं
नेकी भी है लेकिन गुनहगार हम ही हैं
सिलते भी हमीं हैं उधड़ेरते भी हम ही हैं
यह वक्त भी क्या वक्त है.......
ईजाद भी हम से हैं और साइंस भी हम ही हैं
जमीं पर हम हैं चांद पर भी हम ही हैं
चलते वह जो हम हैं चलाते भी हम ही हैं
ऐहसान है उसका मगर मगरूर भी हम ही हैं
यह वक्त भी क्या वक्त है......
कुदरत तो वह है और बंदे ही हम हैं
यह बात भी कुदरत ने क्या खूब बता दी
कुदरत वह जो उसकी है सब से बड़ी है
समझे वह जो हम हैं अंजान भी हम ही हैं
यह वक्त भी क्या वक्त है।
Little_Star
Waahh... Well written
ReplyDeleteVery nice👌👌
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