Tuesday, July 14, 2020

Ek Yeh Sadi Ek Woh Sadi | Waqt | COVID-19 | Little _Star





एक यह सदी एक वह सदी........

👁️  कहते हैं हर ज़माना लौट के आता है। मगर ज़रा बदलाव के साथ।

 🎲  फिर चाहे वह कपड़ों का हो, खाने का हो या फिर आप के किये कर्म का हो। हर वक्त लौट के आता है। यह याद दिलाने के लिए की यह काम पहले भी हो चुका है।

🗝️ अब हम जो बात कह रहे हैं वह ज़्यादा दूर की नहीं बल्कि हमारे आस-पास हो रहे कामों को देख कर कह रहे हैं।

🔐 लॉकडाउन की वजह से जब लोगों का काम धंधा लगभग बंद हो गया। अगर कुछ चल रहा था। तो वह थी खाने-पीने की दुकान जैसे-अनाज, फल, दूध, सब्ज़ी आदि।

💀 तब फिर एक दौर शुरू हुआ। इन्हीं सब चीजों की दुकान खुलने का। और फिर देखते-ही-देखते हर रोज़ हर गली मुहल्ले या यूं कह लें कि हर घर में एक दुकान खुलने लगी। और हर दूसरा आदमी फल सब्ज़ी और किराना की दुकान खोलने लगा। बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। क्योंकि इसी के साथ-साथ हर घर में पके हुए खाने, फास्ट-फूड, बिरयानी पराठों से लेकर अचार पापड़ तक का मीनू Social Networking के जरिए से सामने आने लगा। जो कि बहुत ही मुनासिब दाम में और साथ ही साथ होम डिलीवरी की सुविधा के साथ।

📈 जिन कामों को कभी हम ऐब समझते थे वह आज हुनर हो गया।

😯 हर रोज़ एक नये लोग का वही काम जो बहुत सारे लोग पहले ही शुरू कर चुके थे। सामने आ रहा था। और हमारी नज़रों में किसी ज़माने का मंज़र जो कभी किताबों में पढ़ा था। और अपने बड़े बुज़ुर्ग से कभी किसी ज़माने में किसी ज़माने की बातों को सुना था।




👣 वह बातें जिसे हम इतिहास कहते थे। वही इतिहास हमारे सामने था। कि किसी ज़माने में लोग किस तरह ज़िन्दगी गुज़ारते थे।जब हर कोई खेती बाड़ी करता था। कोई कुछ उगाता था तो कोई कुछ। और फिर जिस को जिस चीज़ की ज़रूरत होती थी। तो लोग सामान के बदले सामान देकर सामान लेते थे। जैसे कोई चावल की खेती करता था। और उसको सब्ज़ी की ज़रूरत होती थी। तो वह चावल देकर सब्ज़ी लेता था। इसी तरह और भी बहुत सारे सामानों का आदान-प्रदान करके लोग अपनी ज़िंदगी गुज़रते थी।






👣 ठीक वही माहौल आज भी दिख रहा है। क्योंकि आज हर कोई ज़रूरत का सामान बेच रहा है। और वक्त वही दिख रहा है कि किसी को प्याज़ चाहिए तो वह तेल देकर प्याज़ ले सकता है और कोई आलू देकर समोसे ले सकता है या यूं कह लें कि कच्चा सामान देकर पका हुआ खाना भी ले सकता है।






✨  कहां कि हम आसमानों तक पहुंचने की बात करते थे। चांद पर पहुंच कर फख्र करते थे। बड़े-बड़े ईजाद को हमने अपने नाम कर लिया।

☔ होने वाली बारिश और आने वाली गर्मी को पहले से बता कर हम ने खुद को किया से किया समझ लिया था।

🌹 हम भूल गये थे कि हमारे ऊपर भी कोई है। जो हम सब के हर अम्ल हर सोच को देख रहा है। हम इबादत भी करते थे तो यूं कि बस अदा हो जाए। कबूल की फ़िक्र किसको थी। हम तो अपने दिमाग अपनी सोच और अपनी Business Strategy  पर फख्र करते थे।







♠️ और फिर कोरोनावायरस के रूप में कुदरत का एक अनदेखा सा दिखने वाला वाइरस ने सबको हिला कर रख दिया।

🌍 आज इंसान बड़ा बेबस व मजबूर दिख रहा है। बहुत सारी जानकारी और पहुंच के बावजूद इंसान के अंदर का डर उसके चेहरे पर दिख रहा है। और इंसान उससे बचने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। 


🚲  कोरोनावायरस दुनिया को घूमता हुआ हिन्दुस्तान की तरफ बढ़ा। और हिन्दुस्तान में कोरोनावायरस की आहट सुनाई दी।
 
📢 और फिर 22 मार्च को कोरोनावायरस के चलते जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ।

🔐  और फिर कोरोनावायरस के बड़ते कदमों को रोकने के लिए 24 मार्च को अचानक से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान हो गया।

😯 हर कोई हैरत में पड़ गया यह किया हो गया।

📻  हर किसी ने यह जानने के लिए कि इस लॉकडाउन में क्या होगा। और कैसे होगा। जानने के लिए खबरों पर ध्यान देना शुरू किया।

📺 खबरों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कोई कहीं आ जा नहीं सकता। सभी स्कूल कालेज सरकारी और प्राइवेट आफिस दुकान सब बंद रहेंगे।

✈️ यहां तक कि हवाई जहाज़, ट्रेन सब बंद रहेगा।

🌶️  खाने-पीने का सामान मिलता रहेगा।

🍒 रोज़ एक खास वक्त में ज़रूरत के सामान जैसे अनाज, फल, सब्ज़ी और दूध मिलते रहेंगे।

🏡 हर कोई घर में कैद हो गया।

🥮 सारे होटल, मॉल्स बंद हो गये।

😛 और फिर अचानक से लोगों में एक खुशी की लहर दौड़ गई।

🏠 हर कोई खुश और उत्साहित था। कि चलो इसी बहाने कुछ दिन घर में रहने का मौका मिल गया। हर कोई परिवार के साथ था। और खुश था।

🍜 कोई घर से बाहर जा नहीं सकता था। बाहर का खाना घर में आ नहीं सकता था। इस लिए घरों में ही पकवान बनने लगी। रोज़ नये नये खाने बनाना और उसकी फोटो शोशल नेटवर्किंग साइट्स पर डाले जाने लगी। हर तरफ एक अलग ही माहौल था। हर तरफ खुशी और उल्लास का समां था। यूं जैसे किसी को कोई दुख कोई परेशानी नहीं। ऐसा लग रहा था कोरोना कोई बीमारी नहीं बल्कि मसीहा बन कर आया है।

🤓 वह बड़े बिज़नेस मैन, बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट चलाने वाले जो कभी वक्त की कमी की वजह से परिवार को वक्त नहीं दे पाते थे। वह अब हर वक्त परिवार के साथ थे। और सब खुश थे। बड़े-बड़े लोग बड़ी ही शान से घर में झाड़ू लगाने और झूठे बर्तन को धोते और बड़े ही शान से अपने इन सब कामों को करने की फोटो Facebook और Instagram पर अपलोड करते। और लोगों की वाहवाही लूटते। क्योंकि कोरोनावायरस एक संक्रमित बामारी थी। इस की वजह से सब के नौकर और काम वाली बाई की भी छुट्टी थी। कोई भी नौकर मुलाज़िम को काम पर नहीं बुला सकता था। 

🔐 वक्त बीतता रहा। कोरोनावायरस के केस बड़ते रहे, लॉकडाउन बढ़ता रहा। लोगों की खुशी फ़िक्र में बदलने लगी। जमा पैसे खत्म होने लगे। लोगों को काम की फ़िक्र शुरू हो गयी। नौकरियों से unpaid leave मिलने लगी।

😣 घर परिवार का माहौल बदल गया। कुछ दिन पहले जहां खुशी का माहौल था। वहां आज फ़िक्र और परेशानी का माहौल था।





👀 और फिर इस कोरोना काल ने हम को बहुत कुछ सिखा दिया।
मुश्किलें बहुत है। लेकिन हम उन मुश्किलों से लड़ रहे हैं। मुश्किलों ने हमको लड़ना सिखा दिया। मुश्किलों ने हमारी सोच को बदल दिया। इस कोरोना काल हम वह सिख गए। जो हम बड़ी फीस देकर बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट में नहीं सीख सकते थे। 

♟️ बात वक्त की हो और वक्त कोई सीख ना दे। ऐसा वक्त कभी आया नहीं है। लेकिन यह वक्त बहुत बड़ी सीख दे गया। 'बड़े छोटे' का फर्क और 'ऊंच-नीच' का भेद मिटा गया। 'अच्छे-बुरे' का फर्क बता गया। और 'लोग क्या कहेंगे' यह गम मिटा गया।

🔌 यह वक्त मुश्किल बहुत है। लेकिन जिस ने इस वक्त से सबक ले लिया। वह कभी भी हार नहीं सकता। इस लिए इस वक्त को एक इम्तेहान की तरह लें। और इस इम्तेहान में पास होने के लिए हर मुमकिन कोशिश करें। आप पास ज़रूर होंगे यह हमारा नहीं वक्त का वादा है।

🕚 मुश्किल की घड़ी है। लेकिन कुछ है जो चल रहा है। और वह है वक्त और हमारी सोच। 

 🕴️रूकें हैं तो हम सिर्फ हम।

-Little-Star








         











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