Thursday, January 2, 2020

The Game of Ratings (a)

रेटिंग आज कल बहुत चलन में है ।
रेटिंग क्या है?
जब हमारा व्यवहार किसी से होता है हम किसी से मिलते हैं, या कोई हमारे घर आता है और हम उसके जाने के तुरंत बाद उस इंसान का व्यवहार उसकी बातचीत के बिना पर उसको रेटिंग देने में ज़रा भी देर नहीं लगाते कि वह बोलते कैसे थे और खाते कैसे थे।
अक्सर घरों में तो मेहमान जाते भी नहीं हैं और लोग किचन में या दूसरे कमरे में ही रेटिंग देना शुरू कर देते हैं कि वह चाय कैसे पी रहे हैं और उनको बात करने की तमीज़ भी नहीं है और इस तरह की ना जाने कितनी ही बातों से सामने वाले को रेटिंग दे देते हैं।
ऐसा नहीं है कि सामने वाले को सिर्फ खराब रेटिंग ही मिले। बहुत सारे लोगों को बहुत अच्छी भी रेटिंग मिल जाती है।
यह बात तो हो गयी उस रेटिंग की जो हम यों ही देते रहते हैं। लेकिन अब तो रेटिंग ज़रूरत बन गयी है।
आप कहीं ola से गये हैं तो payment के साथ आप को rating भी करनी होती है कि driver का व्यवहार कैसा है उसने समय से पहुंचाया या नहीं आदि।
 इस तरह की बातों के लिए driver को रेटिंग करना ज़रूरी है क्योंकि driver की यही rating देख कर तो हम ola से गाड़ी बुक करते हैं।
अब बात यह आती है कि हम rating करते वक्त कितनी ईमानदारी बरतते हैं। क्योंकि अक्सर जब हमको rating देने की बारी आती है तो हम कंजूसी कर जाते हैं और five star ⭐ देने के बजाए दो या तीन star से ही काम चला लेते हैं। और अगर गलती से भी driver कोई गलती कर दे तो एक star के साथ-साथ ना जाने क्या-क्या review में लिख दिया जाता है। लेकिन एक समझदार इंसान ऐसा नहीं करता है क्योंकि एक समझदार इंसान यह समझते हैं कि उनकी एक गलत rating से किसी का नुक़सान हो सकता है। अब यह भी नहीं कि आप गलत रेटिंग करें।
वह कहते हैं न कि पहली गलती तो खुदा भी मांफ कर देता है।⭐

-Little-Star


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