Friday, June 26, 2020

Mirror (Woh Apni si Chawi) Little_Star





मिरर (वह अपनी सी छवि)

आईना बन के खड़ा था
तो निहारते थे सभी
देख के मुझे मुस्कुराता था कोई
तो कोई देख के उदास बहुत
सुलझ गयी ना जाने उलझी लटे कितनी
संवर गयी ना जाने दुल्हनें कितनी
मैं आईना ना जाने कितनें का
थी छवि मेरे अंदर ना जाने कितनों की
कभी टूटा जो दिल किसी का भी
वह आ के जुड़ता हमीं से था
कोई आंखों को तेरता था मुझे
कोई भवों को सिकोड़ता था बहुत
हर किसी के आंखों का काजल सवांरते थे हमीं
वह उन के होंठों की लाली हमें से थी
वह अश्क आ जो गया आंखों में कभी
नज़र बचा के सभी से नज़र मिलाते वह हमीं से थे
वह सुर्खियां तेरे हसीन गालों की
मुझे घंटों निहारने से हैं
बहुत चाहते थे हमें वह
बहुत निहारते थे हमें वह
मैं था भी तो उनका यह हक था ही उन्हें
मगर वह टूटा जो एक दिन दिल उनका
हुए गुस्से में वह बहुत अपसेट
वह उन के दर्द में नहीं वहां कोई अपना
वह बहुत अकेली और आईना अकेला मैं
वह तैश में थी बहुत और बहुत गमगीन
और मैं खामोश तमाशाई उनका
थे नहीं लफ्ज़ मेरे पास कोई उलफत के
मैं तो खामोशी का पैकर था अज़ल से ही यहां
मेरी खामोशी से आजिज़ आकर
वह मोबाइल जो मुझे तान के मारा उसने
था जो गुस्सा वह किसी का जो उतारा मुझ पे
मैं वह तन्हा सा अकेला सा मिमर बेचारा
मैं जो टूटा तो बहुत टूट के बिखरा एक दम
हां मगर टूट के यह बात को जाना हमने
ना कोई मरता है यहां कोई किसी के भी बिना
हर कोई जीता है यहां ज़िन्दगानी अपनी
संभल-संभल के करचियों को समेटा उसने
कोई अफसोस कोई उदासी ना थी उन को
फिर कहां हम और कहां का वह याराना
वह जो रहते थे बड़ी शान से हम वह तन्हा
था मगर अब मेरी जगह पे वहां तन के कोई और।

-Little-Star









Tuesday, June 16, 2020

एक ख्याल | Sushant Singh Rajput | Actor |


एक ख्याल "सुशांत सिंह राजपूत" की मौत से


"एक ख्याल"

क्यूं ना स्कूल एक ऐसा भी खोला जाए
हो पढ़ाई  वह जहां चेहरे को समझने की
आज एक विज्ञापन ऐसा भी निकाला जाए
है ज़रूरत हमें टीचर की जो पढ़ाना जाने
कैसे जीना है हमें मुश्किलों और हालातों में
हंसते चेहरों के समझने का हुनर जिसमें हो
वह जो जिंदा हो मगर मौत से लड़कर तन्हा
ऐसा प्रिंसिपल भी उस स्कूल का खोजो यारों
हो पढ़ाई भी बहुत सख्त और बहुत ही उम्दा
एक गिनती ऐसी भी अब याद कराया जाए
एक मरते हैं तो मर जाते हैं ना जाने कितने
ऐसी मौतों के बहाने को अब गिनाया जाए
मिल नहीं जाती हैं हर शख्स को खुशियां सारी
ऐसी बातों को समझने का सलीका भी बताएं
वह किताबों का जो लेसन हो सबक आमोज़
हंसते चेहरों को समझने का तरीका जाने
वह छलकती है जो आंखों से हजारों खुशियां
ऐसी खुशियों को बचाने का हुनर भी जाने
हो जो दौलत वो बहुत और शोहरत की चमक
ऐसी दौलत से ही खुशियों को बचाने के लिए
हो एक एगज़ाम भी ऐसा खुशियां परखने के लिए
क्यूं ना आदमी को भी अब इंसान बनाया जाए
कच्चे धागों की मजबूती पे यकीं है जितना
पक्के रिश्तों की भी गहराई का अंदाज़ा कराया जाए
किस तरह हार के भी जीते हैं न जाने कितने
ऐसे लोगों की कहानी को सुनाया जाए
वह जो दौलत को ही समझे हैं सुकूं का सामान
ऐसी दौलत से भी बचने का तरीका जाने
वह जो सुनते हैं जमाने से बहुत सी बातें
ऐसी बातों को समझने का हुनर भी सीखें
करें कोशिश कभी ऐसी जो सभी याद रखें
ऐसी कोशिश को भी करने की शिक्षा दें हम
है डिप्रेशन एक बला जिसमें गिरफ्तार ना जाने कितने
ऐसी-जैैैसी ही बलाओं से रिहाई का तरीका जाने
एक हीरी जो कभी मौत से डरता ना हो
एक हीरो जो कभी दुश्मन से हारा ना हो
एक हीरो जो कर देता है अनहोनी को होनी
एक हीरो जो रहता है हमेशा हीरो बन कर
क्यूं ना एक फिल्म अब ऐसी भी बनाया जाए
ऐसी हीरो की कहानी को हकीकत भी बनाया जाए।

-Little-Star









Thursday, June 11, 2020

Aag: The Fire | Hindi poetry | Little _Star



आग

वह आग जले तो उजाला घरों में होता है
वरना बुझे आग तो अंधेरा घरों में हो जाए
वह आग जले तो बुझे पेट की आग
वरना भूखे ही मर ना जाते वह सभी
वह आग ही तो है जो जलते हैं अपनों से
वरना हर कोई मिल-जुल के रहा ना करे
वह आग ही तो है जो जोशे-जुनूं बढ़ाता है
वरना थक-हार के कब के बैठ जाएं ना सभी
वह आग ही तो है जो मुहब्बत में होती है
वरना कोई किसी से क्या प्यार करे
वह आग ही तो है तप के बने सोना जिसमें
वरना सोना भी ना बिकता कोड़ियों में यहां
वह आग ही तो है जो बदले की जलती है
वरना हर शख्स चैन से जीता ना मिले
वह आग ही तो है जो निकल जाए पत्थर से
वरना माचिस की जरूरत किसे है यहां
वह आग ही तो है जो जलाती है तालीम की लै
वरना जिहालत की अंधेरी रात बहुत है यहां
वह आग ही तो है जो दिलों में जलती है
वरना हर शख्स जुदा ना होता किसी से यहां
वह आग ही तो है तो उगलती है ज़ुबां अक्सर
वरना हर बोल ना होती वह मिठास लिए
वह आग ही तो है जो नफरतें बढ़ाती है
वरना यह शहर तो मुहब्बत की मिसालें लिखता

-Little_Star



Monday, June 1, 2020

George Floyd थम गई सांसें.. | Little_Star

 






श्याम श्वेत की बात बहुत पुरानी है......
लेकिन हर युग में यह खुद को दोहराती है।
बात होती है जब भी इंसानों की, तो बात यह भी होती है कि वह कैसा था गोरा या काला।
क्यों नहीं इंसानों को उसके कर्म से आंका जाता?
क्यों शक्ल देख कर अच्छे या बुरे का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है?
क्यों गोरे-काले के भेद में मन की सुन्दरता छिप जाती है?
गोरे-काले का भेद तो जन्म से ही शुरू हो जाता है। लेकिन यह भेद किसी के मौत का कारण बन सकता है यह शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। 
जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) को कल तक कौन जानता था?
लेकिन आज जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) को हर कोई जानता है। लेकिन अफसोस यह जानना उस ना जानने से बेहतर था। क्योंकि जॉर्ज फ्लॉइड(George Floyd) आज इस दुनिया में नहीं हैं।
 अमेरिका जैसे देश के सड़क पर जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) और पुलिस के बीच ना जाने क्या होता है कि कुछ ही पलों में जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) की गर्दन उस पुलिस के घुटने से दबी होती है, और जॉर्ज फ्लॉइड के वह तकलीफदेह अल्फाज़ जिस को पढ़-सुन कर आज हर इन्सान के आंख में आंसू है। मगर उस पुलिस वाले को उस वक्त भी जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) पर रहम नहीं आया जब जॉर्ज फ्लॉइड उससे कभी पानी मांग रहे थे तो कभी सांस ना ले पाने की तकलीफ़ तो कभी गर्दन और शरीर के दर्द को बर्दाश्त ना कर पाने के जुमले कह रहे थे।  लेकिन ना तो उस पोलीस वाले ने उनकी कोई मदद की और ना ही पुलिस के वह तीन साथी जो वहां पर उनके साथ रहते हुए भी कुछ नहीं कर पाए। और सिर्फ खामोश तमाशा देखते रहे। और लगभग सात मिनट के बाद जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) खामोश हो गये।  

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लेकिन उन की खामोशी आज बहुत बड़े शोर में बदल चुकी है क्योंकि जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी मौत ने आज बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं और शायद उन सवालों के जवाब हर कोई जानना चाह रहा है।

आज अमरीका समेत पूरी दुनिया में जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) की मौत के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है हर किसी के पास एक सवाल है और हर कोई अपने सवाल का जवाब चाहता है।
किसी भी इंसान को बेवजह मारना या किसी वजह के मारना दोनों मामलों में एक बीच का रास्ता ज़रूर ररखना चाहिए। जिससे कि मरने वाला और मारने वाला दोनों संतुष्ट हों।
जॉर्ज फ्लॉइड (George Floyd) के गलती की अगर बात करें तो क्या उनका काला होना ही उनकी सबसे बड़ी गलती थी तो यह उन की गलती नहीं क्योंकि इंसान की हर गलती माफ हो सकती है लेकिन बात जब रंग-रूप की होती है तो बात ही खत्म हो जाती है क्योंकि रंग-रूप कुदरत की देन है।



इस पोस्ट में लिखी गई बातें सोशल मीडिया के जरिए पढ़ी और देखे गये वीडियो के आधार पर लिखी गई हैं।
इस लेख को लिखने का मकसद यह है कि हर इंसान की ज़िंदगी बहुत कीमती है। 

-Little-Star