Saturday, April 18, 2020

Khamoshiyon ka Shor | Lockdown | COVID-19 | Little _Star




 खामोशियों का शोर

अभी कुछ दिन और रहना है घर ही पर
यह वक्त मुश्किल है मगर है काटना हमको
यह लॉकडाउन ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए
यह सच है कि किसी को पैसे की है दिक्कत
सामान मिल रहा है सभी को यह चिंता है मगर
पैसे जो जमा थे सबके अब हो रहे हैं खत्म वह
कुछ भी हो मगर लेकिन यह वक्त गुज़ारना है
यह दौर मुश्किल का बहुत और सब्र वाला
इस वक्त को गुज़ारो सब साथ ही में मिलकर
वह साथ भी हो ऐसा हों सब अलग-अलग
आई बड़ी मुसीबत जिसको है काटा सबने
यह बात बता रहे हैं दादी किसी की नानी
हम को भी है समझना वह बात बुज़ुर्ग से
जो उनकी ज़िंदगी ने तजुर्बे से है कमाई
है ज़िन्दगी हमारी तो सोचना भी हमें है
जो ज़िन्दगी रही तो लाखो कमा हैं लेंगे
जो ज़िन्दगी रही तो सब कुछ बना ही लेंगे
वह सुनते हैं जो बड़ों से कहते हैं वह यह अक्सर
उम्मीद हो बड़ी तो सब कुछ यहां है मुमकिन
उम्मीद का दिया एक लाखों दिये जला दे
उम्मीद का दिया एक दिल में जला के रख लो।

-Little-Star



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Sunday, April 12, 2020

House wife | working Women | Little_Star


हाउस वाइफ......

इस लॉकडाउन यह जाना सब ने.......
वह हाउस वाइफ जो
करती है काम बहुत कुछ
न देखा कभी उसे था
न समझा कभी उसे था
वरना मशहूर तो यही था
तुम करती भी क्या हो आखिर
जो देखा तो यह ही सोचा
करती कमाल तुम हो
बंदी हो बेमिसाल तुम।

-Little-Star






Woh Ikkees(21) Din | Lockdown Poetry | Unlock Poetry | Little_Star



#covid_19

वो इक्कीस दिन........
बता गये बहुत कुछ
सिखा गये बहुत कुछ
भागते थे कभी हम
खुशियों के लिए
खुआहिशों के लिए
थी कभी फ़िक्र कपड़ों की
कभी बर्गर कभी पिज़्ज़ा
कभी बाहर के कॉफी की
ख्वाहिश थी तमन्ना थी
थी चिंता यह सब ही को ही
हो घर अच्छा और हो गाड़ी
कभी हम घूमने जाएं
कभी शिमला कभी लंदन
यही चिंता सभी को थी
कि हो दौलत बहुत सारी
यही कोशिश थी हम सब की
हो चाहे जितना जाएं थक
मगर हम को कमाना है
मगर फिर बदला ऐसा वक्त
मिला हमको समझने को
वो इक्कीस दिन.........
नहीं जाना था कहीं पर भी
ना आना था किसी को भी
है घर में जो भी पकता था
वह खाते थे सभी मिलकर
ना चिंता थी ही कपड़ों की
ना कैफे की ना होटल की
वह खाना जो कभी होटल से आता था
वह अब बनता था घर ही पर
वह जो पैसा तो बचता था
सेहत भी हो गयी बेहतर
वह जो खर्चा हज़ारों का
हज़ारों बच गये लेकिन
वो इक्कीस दिन.......
ना आएं फिर कभी लेकिन
मगर हो याद हम सबको
सबक वह जो पढ़ा सब ने
जिया जो ज़िन्दगी सब ने।

-Little-Star







Read More- The current post is continued in Khamoshiyon ko Shor
-Yeh Waqt bhi Guzar Jayega
-Housewife

Yeh Kaisi Aastha | Story | Little_Star





यह कैसी आस्था.......

कहते हैं ईश्वर अल्लाह में विश्वास मन से होता है।
और यह मन ही है जो हमारी आस्था को ईश्वर अल्लाह से जोड़े रहता है।
आस्था दिल से होनी चाहिए और दिल में आस्था होनी चाहिए।
एक इंसान का अल्लाह ईश्वर पर यह विश्वास होना कि वह मेरे साथ कभी कुछ बुरा नहीं होने देगा।
और यह विश्वास बहुत अटूट भी है।
क्योंकि ऊपर वाला अपने बंदों के साथ कभी बुरा नहीं कर सकता।
कहते हैं जब कभी आप के साथ बुरा होता है तो यह विश्वास भी होता है कि ज़रूर इसके पीछे कुछ ऐसा है जो मेरे लिए बहुत अच्छा है।
आज पूरी दुनिया में कोरोनावायरस का कहर है हर किसी को इससे बचने के लिए घर में रहने की सलाह दी जा रही है।
बहुत सारे देशों में लॉकडाउन है किसी को घर से नहीं निकलना है।
और हम देख-सुन और पढ़ रहे हैं कि बहुत सारे देशों में लॉकडाउन का बहुत सख्ती से पालन हो रहा है। और यह सख्ती वहां का प्राशासन नहीं बल्कि वहां के रहने वाले लोग कर रहे हैं।
लेकिन भारत में इस लॉकडाउन का उतनी सख्ती से पालन नहीं हो रहा है जितनी सख्ती से इसका पालन होना चाहिए।
लोगों को यह बात नहीं समझ आ रही है कि कोरोनावायरस से बचने का सबसे पहला बड़ा तरीका घर में रहना है जिससे हम कोरोनावायरस से खुद भी बच सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं।
लेकिन आज कुछ लोग ये सोच कर घर से बाहर निकल रहे हैं कि उनको कुछ नहीं हो सकता उनका भगवान अल्लाह उनको कुछ नहीं होने देगा।
जब हम इस तरह की बातें सुनते हैं तो मन में एक कहानी घूम जाती है जो हम ने कभी कहीं पढ़ी थी और कई बार पढ़ी थी।
कहानी यह थी कि..........
एक बिरजू नाम के शख्स को ईश्वर पर बहुत विश्वास था उसको लगता था कि उसके साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता और वह इसी विश्वास में जीता था।
एक बार उसके गांव में बहुत भयंकर बाढ़ आ गयी।
सब लोग गांव छोड़ कर जाने लगे।
सब ने बिरजू से भी गांव छोड़ कर चलने के लिए कहा।
मगर बिरजू ने कहा कि उसको कुछ नहीं हो सकता ईश्वर उसको बचा लेगा।
और वह गांव में ही रहा।
बाड़ बहुत ज़्यादा बढ़ गई सेना के जवान कश्ती से लोगों को गांव से बाहर निकाल रहे थे।
सेना के जवान बिरजू के पास भी आये और गांव छोड़ कर चलने के लिए कहा मगर बिरजू ने कहा कि उसको कुछ नहीं हो सकता ईश्वर उसको बचा लेगा और वह नहीं गया।
बाड़ का पानी घर के अंदर तक आ गया।
बिरजू घर की छत पर चढ़ गया।
पानी बहुत ज़्यादा बढ़ जाने की वजह से सेना के जवान हवाई जहाज़ से गांव के बचे हुए लोगों को बाहर निकाल रहे थे।
हवाई जहाज़ बिरजू की छत के पास भी आया और सेना के जवान ने साथ चलने के लिए कहा।
लेकिन बिरजू ने फिर वही बात कही कि उसको कुछ नहीं हो सकता ईश्वर उसको बचा लेगा।
सिपाहियों ने चलने के लिए बहुत कहा लेकिन बिरजू जाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
और वह उसी तरह घर की छत पर रहा।
गांव के सभी लोग लगभग गांव से जा चुके थे।
और फिर बाढ़ में बिरजू का घर भी बह गया और साथ में बिरजू भी मर गया।
मरने के बाद बिरजू को ईश्वर के पास ले जाया गया।
बिरजू बहुत ही गुस्से में ईश्वर के पास गया।
और कहा कि मैंने आप पर कितना विश्वास किया लेकिन आप ने मेरे विश्वास को तोड़ दिया।
आपने मुझे क्यों नहीं बचाया?
क्यों मुझे मरने दिया?
बिरजू की बातें सुनकर ईश्वर मुस्कुराऐ।
और बोले.....
तुम्हें क्या लगता है वह सेना,वह कश्ती, और वह हवाई जहाज़ किस ने भेजा था।
यहां पर यह कहानी लिखने का मकसद सिर्फ यह है कि आज जो लोग कोरोनावायरस के चलते घर से बेकार में निकल रहे हैं और वही बात कह रहे कि मुझे कुछ नहीं हो सकता।
तो यह आस्था नहीं बल्कि नादानी है।

-Little-Star


बिरजू-काल्पनिक नाम




Yeh Waqt Bhi Guzar Jayega | Story | Little_Star



यह वक्त भी गुज़र जाएगा.....
एक कहानी कभी पढ़ी थी।
शायद आपने भी पढ़ी हो।
एक राजा और उसके वज़ीर की कहानी है।
वह वज़ीर जो बहुत अक्लमंद और होशियार था।
एक बार राजा ने वज़ीर से कहा किt कुछ ऐसा बताओ कि जिससे मैं दुःख में भी खुश हो जाऊं।
वज़ीर ने राजा को एक का काग़ज़ पर कुछ लिख कर दिया और कहा कि जब आप बहुत मुश्किल में हों तभी उसको पढ़ना।
एक बार की बात है राजा कहीं जंगल में अपने सिपाहियों के साथ जा रहे थे।
रास्ते में किसी तरह वह अपने सिपाहियों से अलग हो गये।
शाम का समय था राजा अब यही सोच रहे थे कि अब वह महल तक वापस कैसे जाएंगे।
राजा बहुत परेशान हो गए उनको कुछ समझ नहीं आ रहा था।
वह वहीं पर एक पत्थर पर बैठ गए।
रात का अंधेरा बढ़ता जा रहा था राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
और फिर उनको अपना वज़ीर याद आ गया कि वह अगर आज उनके साथ होते तो वह इस तरह अकेले जंगल में ना बैठे होते।
और फिर वज़ीर का सोचते-सोचते राजा को वज़ीर का वह लिखा हुआ काग़ज़ याद आया जो वज़ीर ने उन्हें देते समय कहा था कि जब आप मुश्किल में हों तभी इसे पढ़ना।
राजा जो इस वक्त जंगल में  मुश्किल में थे उन्होंने अपनी जेब से वह काग़ज़ निकाला और उसको खोल कर पढ़ा।
और उसको पढ़ते ही राजा के होंठों पर मुस्कान आ गई।
ऐसा लग रहा था कि अब राजा को कोई परेशानी नहीं है।
और राजा वहीं पर आराम करने के लिए  लेट गए। और कब राजा को नींद भी आ गई राजा को पता ही नहीं चला।
सुबह राजा के सिपाही राजा को ढूंढ़ते-ढूंढते आखिर राजा तक पहुंच गये।
और फिर सबके साथ राजा अपने महल चले आए।
महल पहुंच कर सब राजा का हाल जानने को बेताब थे कि किस तरह राजा ने वह रात जंगल में अकेले गुज़ारी।
और फिर राजा ने सारी बात बताई कि किस तरह वह काग़ज़ पढ़ने के बाद उनके अंदर सुकून आया।
हर कोई यह जानने के लिए बेचैन था कि आखिर उस कागज़ पर लिखा क्या था।
और फिर राजा ने अपनी जेब से वह काग़ज़ निकाला और उसको सबके सामने रख दिया।
जिस पर लिखा था.....
यह वक्त भी गुज़र जाएगा।
आज कोरोनावायरस की वजह से पूरी दुनिया मुश्किल में है। हर कोई परेशान है हर कोई घर में रहने को मजबूर है। क्योंकि घर में रहने से ही हम सब इस वाइरस से बच सकते हैं।
आज बहुत सारे परिवार घर में एक साथ हैं। वक्त मुश्किल का है मगर शुक्र है जो परिवार आज साथ में घर में हैं।
क्योंकि आज ना जाने कितने ही लोग इस लॉकडाउन की वजह से अपने घर तक नहीं पहुंच पाए।
आज कितनों के पास खाने को नहीं है।
जो रोज़ कमाते और रोज़ खाते थे उनके लिए यह एक आज़माइश है।
आज आज़माइश हर किसी है
आज डॉक्टर और नर्स को अपना फ़र्ज़ निभाना है। तो वहीं पुलिस और हमारे देश के जवान को हमारी और हमारे देश की रक्षा करना है।
आज हर कोई मुश्किल में है और हर कोई जल्द से जल्द इस दौर से बाहर आना चाहता है।
इस मुश्किल हालात से गुज़रते हुए हर किसी के सामने कागज़ का वही तुकड़ा है और सब के ज़ुबान पर एक ही शब्द है.......
यह वक्त भी गुज़र जाएगा।

-Little-Star







Friday, April 10, 2020

Judaai |Letter Life | Digital Life | Digital Love | Little_Star




जुदाई......
एक खत जो लिखा उसको
खुशियों के झरोखों से
लफ्ज़ो के नगीनों से
हर लफ्ज़ महकते थे
हर शब्द खनकते थे
बातें जो बहुत सी थी
लिख सब भी रहे थे वह
फूलों की नगरया से
खुशबू की सियाही से
रंगों के धनक भी थे
चुनरी की लगन भी थी
ज़ेवर की चमक थी ही
चूड़ी की खनक भी थी
हर बात मुकम्मल थी
और खत भी मुकम्मल था
जो नाम लिखा उसका
और खत को जो मोड़ा था
वह दर्द जो दिल में था
आंखों में समाया था
लफ़्ज़ों से बचाया था
पलकों से छिपाया था
एक अश्क जो छलका था
आंखों के किनारे से
एक बूंद ही काफी था
जो आंख से टपका था
और खत पे जो फैला था
एक बूंद ही भारी था
एक पन्ने के लेटर पे
एक बूंद ही भारी था।

#Little_Star












इमोजीज़ लाइफ......

यह दौर नहीं है खत का शायद
Massage का ज़माना है
Fb और insta की कहानी है
मैसेज लिखते हैं मुहब्बत का वह
और कर देते हैं delete all  भी
आज वह कहां और तुम कहां
हर तन्हाई का साथी है यहां
याद उनकी जो आ जाए कभी
Watsapp और massenger है ना
बातें वह जो दिल की है हो जाती यहां अक्सर
कभी voice तो कभी video call से
कहने को तो हर बात ही हो जाती है मुकम्मल
कहना ना यहां हम को कुछ भी ना अगर हो
है रास्तें और भी इन सब के सिवा
हर बात की हर सोच की हर याद की यहां
हर चीज़ की हर फेस की हर काम की यहां
है नाम यहां उसका Emoji कभी smile
है नाम तो इमोजी मगर काम बहुत हैं
एक बात जो कहना है तो सौ रास्ते यहां
हूं सोचती फिर भी मैं यह बातें अक्सर
हर काम मुकम्मल है हर बात मुकम्मल
करना जो कभी चाहें, बातें वह कभी मन की
लफ़्ज़ों की कमी जब हो कहना भी ज़रूरी हो
हो बात जो कुछ कहना कह फिर भी ना पाते हो
ऐसे में इमोजी ही फिर साथ निभाता है
यह सच है मुहब्बत की Emoji है बहुत लेकिन
जो बात रहती है काग़ज़ पे कलम से लिख कर के
वह बात नहीं लेकिन message की लिखावट में
वह बात नहीं रहती इमोजी की इमोजी में
वह खत तो सदा रहते यादों में निगाहों में
Message तो बहुत जल्दी हो जाते clear chat
काग़ज़ के वह खत तो संजोय बहुत जाते
है आज ना मुहब्बत वह और ना वह ज़माना
है आज बहुत जल्दी जीने के तरीके हैं
है आज मुहब्बत जो हो जाती बहुत जल्दी
और फिर यह मुहब्बत है टूट भी जाती है
है आज कहां वह रिश्ते और बात कहां की वह निभाना
फुर्सत कहां किसको रिश्तों को बनाने की
फुर्सत कहां हमको रिश्तों को निभाने की

-Little-Star



Friday, April 3, 2020

Aaj-Kal | Life in Lockdown | Little_Star


#coronavirus

बड़ी ही सादा ज़िन्दगी है आज-कल
सब मिलजुल कर पकाते हैं
और मिलजुल कर ही खाते हैं
सब साथ में हैं रहते
किसी को कहीं जाने की जल्दी नहीं
किसी को किसी से कोई काम नहीं
सब अपना काम खुद ही करते
साथ-ही-साथ सब का काम भी करते
न किसी को नये कपड़े की फ़िक्र
ना किसी को मॉल जाने की इच्छा
सब लोग हैं घर में
और कर रहे वह काम
जो करने की इच्छा थी बरसों से मन में
मगर वक्त नहीं था किसी के पास
सुबह का नाश्ता साथ में हो रहा है
दोपहर का खाना जो खाते नहीं साथ
आज हर काम हो रहा है साथ
अब शाम की चाय भी एक बार ही बन रही
वरना कौन कब आये ये सोच के एक-एक कप ना जाने कितनी बार बनती।
बाप बेटा कैरम भी खेल रहे हैं
क्या सास और क्या बहू ताश की बाज़ी लगी है सबकी।
घर का काम हो रहा जल्दी, क्योंकि सब मिलजुल हैं कर रहे
कभी कोई पकैड़े तल कर वाह वाही ले रहा
कभी कोई सब्ज़ी काट कर ही कॉलर को अकड़ा रहा
जिस को नहीं आ रहा कुछ भी
वह भी नहीं है आज पीछे
नहीं आता तो क्या हुआ सीख लेंगे आज हम भी
कोई रोटी को इंडिया गेट बना कर ही खुश है
तो कोई चावल की खिचड़ी पका के है हंस रहा
यह वक्त है मुश्किल लेकिन फिर भी
सब खुश हैं और साथ है
आज जो वक्त है कल वह नहीं रहेगा
जानो इसे गनीमत कर लो हो जो भी करना
यह वक्त बुरा बहुत है
लेकिन समझ यह सबको
अच्छे से आ गया है
मिलकर रहें जो हम सब
तो कुछ भी बुरा नहीं है।

#Little_Star


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