यह कैसी आस्था.......
कहते हैं ईश्वर अल्लाह में विश्वास मन से होता है।
और यह मन ही है जो हमारी आस्था को ईश्वर अल्लाह से जोड़े रहता है।
आस्था दिल से होनी चाहिए और दिल में आस्था होनी चाहिए।
एक इंसान का अल्लाह ईश्वर पर यह विश्वास होना कि वह मेरे साथ कभी कुछ बुरा नहीं होने देगा।
और यह विश्वास बहुत अटूट भी है।
क्योंकि ऊपर वाला अपने बंदों के साथ कभी बुरा नहीं कर सकता।
कहते हैं जब कभी आप के साथ बुरा होता है तो यह विश्वास भी होता है कि ज़रूर इसके पीछे कुछ ऐसा है जो मेरे लिए बहुत अच्छा है।
आज पूरी दुनिया में कोरोनावायरस का कहर है हर किसी को इससे बचने के लिए घर में रहने की सलाह दी जा रही है।
बहुत सारे देशों में लॉकडाउन है किसी को घर से नहीं निकलना है।
और हम देख-सुन और पढ़ रहे हैं कि बहुत सारे देशों में लॉकडाउन का बहुत सख्ती से पालन हो रहा है। और यह सख्ती वहां का प्राशासन नहीं बल्कि वहां के रहने वाले लोग कर रहे हैं।
लेकिन भारत में इस लॉकडाउन का उतनी सख्ती से पालन नहीं हो रहा है जितनी सख्ती से इसका पालन होना चाहिए।
लोगों को यह बात नहीं समझ आ रही है कि कोरोनावायरस से बचने का सबसे पहला बड़ा तरीका घर में रहना है जिससे हम कोरोनावायरस से खुद भी बच सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं।
लेकिन आज कुछ लोग ये सोच कर घर से बाहर निकल रहे हैं कि उनको कुछ नहीं हो सकता उनका भगवान अल्लाह उनको कुछ नहीं होने देगा।
जब हम इस तरह की बातें सुनते हैं तो मन में एक कहानी घूम जाती है जो हम ने कभी कहीं पढ़ी थी और कई बार पढ़ी थी।
कहानी यह थी कि..........
एक बिरजू नाम के शख्स को ईश्वर पर बहुत विश्वास था उसको लगता था कि उसके साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता और वह इसी विश्वास में जीता था।
एक बार उसके गांव में बहुत भयंकर बाढ़ आ गयी।
सब लोग गांव छोड़ कर जाने लगे।
सब ने बिरजू से भी गांव छोड़ कर चलने के लिए कहा।
मगर बिरजू ने कहा कि उसको कुछ नहीं हो सकता ईश्वर उसको बचा लेगा।
और वह गांव में ही रहा।
बाड़ बहुत ज़्यादा बढ़ गई सेना के जवान कश्ती से लोगों को गांव से बाहर निकाल रहे थे।
सेना के जवान बिरजू के पास भी आये और गांव छोड़ कर चलने के लिए कहा मगर बिरजू ने कहा कि उसको कुछ नहीं हो सकता ईश्वर उसको बचा लेगा और वह नहीं गया।
बाड़ का पानी घर के अंदर तक आ गया।
बिरजू घर की छत पर चढ़ गया।
पानी बहुत ज़्यादा बढ़ जाने की वजह से सेना के जवान हवाई जहाज़ से गांव के बचे हुए लोगों को बाहर निकाल रहे थे।
हवाई जहाज़ बिरजू की छत के पास भी आया और सेना के जवान ने साथ चलने के लिए कहा।
लेकिन बिरजू ने फिर वही बात कही कि उसको कुछ नहीं हो सकता ईश्वर उसको बचा लेगा।
सिपाहियों ने चलने के लिए बहुत कहा लेकिन बिरजू जाने के लिए तैयार नहीं हुआ।
और वह उसी तरह घर की छत पर रहा।
गांव के सभी लोग लगभग गांव से जा चुके थे।
और फिर बाढ़ में बिरजू का घर भी बह गया और साथ में बिरजू भी मर गया।
मरने के बाद बिरजू को ईश्वर के पास ले जाया गया।
बिरजू बहुत ही गुस्से में ईश्वर के पास गया।
और कहा कि मैंने आप पर कितना विश्वास किया लेकिन आप ने मेरे विश्वास को तोड़ दिया।
आपने मुझे क्यों नहीं बचाया?
क्यों मुझे मरने दिया?
बिरजू की बातें सुनकर ईश्वर मुस्कुराऐ।
और बोले.....
तुम्हें क्या लगता है वह सेना,वह कश्ती, और वह हवाई जहाज़ किस ने भेजा था।
यहां पर यह कहानी लिखने का मकसद सिर्फ यह है कि आज जो लोग कोरोनावायरस के चलते घर से बेकार में निकल रहे हैं और वही बात कह रहे कि मुझे कुछ नहीं हो सकता।
तो यह आस्था नहीं बल्कि नादानी है।